बुधवार, 8 दिसंबर 2021

लता स्वरांजली, रामकिशोर शर्मा, बिहारीलाल, संत कुमार समेत अन्य रचनाकारों का होगा सम्मान

मप्र नव लेखन संघ के अलंकरण घोषित, 19 को होगा सम्मान समारोह

भोपाल। मप्र नव लेखन संघ साहित्यिक संस्था द्वारा वर्ष 2020 एवं 2021 के लिए विभिन्न सृजनधर्मियो को प्रदान किये जाने वाले अलंकरण दिनांक 19 दिसंबर 2021 को दुष्यंत संग्रहालय सभागार भोपाल में आयोजित समारोह में प्रदान किये जाएंगे। उक्त जानकारी देते हुए संस्था के संरक्षक बिहारी लाल सोनी अनुज एवं संस्थापक अध्यक्ष प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि वर्ष 2020 के लिए संवाद सेवा भारती अलंकरण वरिष्ठ पत्रकार राजेश चंचल को प्रदान किया जाएगा एवं इसी क्रम में रामकिशोर शर्मा गुरुजी को विश्व सेवा भारती अलंकरण तथा बिहारीलाल सोनी अनुज संत कुमार मालवीय श्रीमती आशा श्रीवास्तव अमित दीवान को अटल राजभाषा अलंकरण व कमल किशोर दुबे, सुदामा दुबे वाबरी सुरेश जायसवाल संजय सिंह प्रो. अर्जुन दास खत्री को राजभाषा शिखर अलंकरण प्रदान किया जाएगा। इसी प्रकार अलंकरण की श्रृंखला में वर्ष 2021 का राजभाषा शिखर अलंकरण डा. किशन तिवारी, डा. अशोक तिवारी अमन तथा अशोक धमनियां को और श्रीमती प्रमिला झरबड़े कृष्णदेव चतुर्वेदी डा. लता स्वरांजलि दिनेश गुप्ता मकरंद व शैलेन्द्र प्रताप सिंह राजपूत को अटल राजभाषा अलंकरण तथा पत्रकार सालार गौरी व जवाहर सिंह को संवाद सेवा भारती अलंकरण व समाजसेवी श्रीमती आशा सी एल साहू को विश्व सेवा भारती अलंकरण प्रदान किया जाएगा। 

बुधवार, 8 सितंबर 2021

 डॉ. अमिताभ शुक्ल के काव्य संग्रह 'त्रासदियों का दौर' का हुआ लोकार्पण

भोपाल। राजधानी के हिंदी भवन, भोपाल में दिनांक 11 अगस्त 21 को वरिष्ठ कवि,लेखक एवं अर्थशास्त्री डॉ.अमिताभ शुक्ल के काव्य संग्रह 'त्रासदियों का दौर' का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ गीतकार श्री नरेन्द्र दीपक, प्रख्यात विचारक श्री रघु ठाकुर, वरिष्ठ आलोचक डॉ.विजयबहादुर सिंह, तुलसी अकादमी के निदेशक डॉ. मोहन तिवारी आनंद, पूर्व अवर मुख्य सचिव, आईएएस एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री मनोज श्रीवास्तव, कला मंदिर  के सचिव श्री गोकुल सोनी, कवि एवम् लघु कथाकार श्री संत कुमार मालवीय 'संत' के साथ ही किताब के कवि, लेखक, अर्थशास्त्री डॉ. अमिताभ शुक्ल उपस्थित थे। इस दौरार कविता संग्रह पर चर्चा भी हुई। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रबुद्धजनों ने भाग लिया।

मंगलवार, 27 जुलाई 2021

मप्र साहित्य अकादमी तैयार कर रही साहित्यकार संदर्भ कोश

-प्रदेश के पच्चीस हजार से अधिक साहित्यकारों के जीवन वृत व उनका साहित्य रहेगा उपलब्ध

भोपाल। मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी का एक और नवाचार साहित्यकार संदर्भ कोष के रूप में सामने आ रहा है। इसे मप्र साहित्य अकादमी तैयार करने में जुटी है। मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास कुमार दवे ने बताया कि भोपाल ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के तमाम साहित्यकारों कलाकारों के लिए मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा संदर्भ कोष तैयार किया जा रहा है। साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश द्वारा एक महत्वकांक्षी परियोजना साहित्यकार संदर्भ कोष तैयार करने के लिए तकनीकी व्यवस्था की गई है। इसके माध्यम से प्रदेश के तमाम साहित्यकारों को एक लिंक पर खोजने के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि उन साहित्यकारों का समग्र साहित्य तथा जीवनवृत पाठकों के लिए नेट पर उपलब्ध हो सके। उन्होंने बताया कि साहित्यकारों का जीवन वृत्त तथा उनके क्रियाकलापों को एक फॉर्मेट में उपलब्ध कराया जाएगा। मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक डॉक्टर विकास दवे ने बताया कि इसके लिए महति परियोजना तैयार की जा रही है। साहित्यकारों को उपलब्ध लिंक के माध्यम से पंजीकरण करना होगा। साथ ही अपनी तमाम जानकारी उन्हें जो फॉर्मेट दिया गया है उसमें डालनी होगी। इसके बाद में उसे वेबसाइट पर प्रकाशित कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि आगामी 1 वर्ष में हम सब मिलकर मध्य प्रदेश के लगभग 25 हजार से अधिक साहित्यकारों का डेटाबेस परिचय साहित्य अकादमी की वेबसाइट पर सहज रूप से देख सकेंगे।

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स्वयं ही वेबसाइट पर अपलोड कर सकेंगे

निदेशक डॉ. दवे ने बताया कि इसके लिए https://mpsahityaacademy.com/ पर साहित्यकार संदर्भ कोष पंजीयन का आकार भी निर्धारित किया गया है ताकि साहित्यकार अपना परिचय स्वयं अपलोड कर सकेंगे और कॉलम में पूर्ति करके अपना परिचय जोड़ सकेंगे। इसके लिए पांच पेज जेपीजी फॉर्मेट में अलग से अटैच कर सकेंगे। इस योजना का उद्देश्य बताते हुए कहा कि अभी तक हमारे देश में जिनको लोग नहीं जानते हैं कई साहित्यकार ऐसे उनका अच्छा साहित्य लोगों तक नहीं पहुंच पाया है तो इस महती योजना के माध्यम से कम से कम हम अपने प्रदेश के साहित्यकारों को इंटरनेट पर और साहित्य अकादमी के पेज पर उपलब्ध करवा दें ताकि यदि किसी को पढऩा है ढूंढना है तो वह एक ही प्लेटफार्म को ढूंढ सकते हैं। उन्होंने बताया कि यह योजना तमाम साहित्यकारों के लिए जो दूर ग्रामीणों में निवास कर रहे हैं इसके साथ ही साथ महानगरों में भी हैं उनके लिए योजना बहुत ही कारगर सिद्ध होगी।

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