शनिवार, 10 दिसंबर 2022

masik sahitya ranjan november 2022  मासिक साहित्य रंजन अंक नवंबर 2022 हेमलता शर्मा भोली बैन के रचना कर्म पर आधारित

 मासिक साहित्य रंजन अंक नवंबर 2022 हेमलता शर्मा भोली बैन के रचना कर्म पर आधारित 

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बुधवार, 12 अक्तूबर 2022

‘कामसूत्र‘ का किया रहस्य उजागर, मनुस्मृति जलाने वालों से किया सवाल


मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक डाॅ. विकास दवे ने पहली बार किसी ऐसे विषय पर बात की है जिसपर लोग बात करना तो दूर उसका नाम लेने में भी संकोच करते रहे। यह डाॅ. विकास दवे की वाक-सामर्थ्य ही है कि भरे पूरे सभागार में लोगों ने बहुत ही चाव से सुना। उनकी यह बेवाक टिप्पणी विगत दिनों लेखक सुरेश पटवा की दो किताबों के विमोचन अवसर पर सामने आई। उन्होंने वात्स्यायन रचित ‘कामसूत्र‘ में निहित जीवन पद्धति के रहस्यों का उद्घाटन ही नहीं किया बल्कि उन्होंने तो ‘मनु स्मृति‘ को जलाने वालों को भी हासिये पर ला खडा किया। यह वीडियो जब आप भी शीर्षक देखकर स्किप कर देंगे तो उन्होंने जो बातें कही वह सत्य भी हो जायेंगी। उनके ही कथन को मैं यहां पर लिख रहा हूं।
जिस तरह से मनु स्मृति को पढा किसी ने नहीं और जला दिया,अरे कम से कम यह तो देखते कि आखिर उसमें हैं क्या-------ठीक उसी तरह इस वीडियों को भी बिना देखे ही स्किप कर दिया तो समझिये आप भी उन्हीं लोगों में शामिल हैं जो यह जानना ही नहीं चाहते कि आखिर इसमें है क्या!
-महेश सोनी

रविवार, 9 अक्तूबर 2022

Masik Patrika SahityaRanjan August 2022

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हमारे सभी सम्‍मानित पाठक का तथा रचनाकारो का बहुत बहुत धन्‍यवाद के अपने साहित्य रंजन के स्‍वतंत्रता विशेषांक में अपनी रचनाएं भेजा ये अंक आपको डाक से भी पहुचाया गया नंबर में सम्‍पर्की है



शुक्रवार, 29 जुलाई 2022

सैंया होके भारत वासी, काहें हँसी करावत मोर....

 राजकीय संग्रहालय में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हुईं सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

महेश सोनी

झांसी। 'सैंया होके भारत वासी काहें हँसी करावत मोर जब यह बुंदेली लोक गीत ललितपुर उप्र की लोक गायिका अभिलाषा वर्मा ने अपने सुरीले कंठ से राजकीय संग्रहालय में गुनगुनाया तो श्रोता भाव विभोर हो गए। अवसर था संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के सहयोग से निर्मल जनकल्याण एवं सांस्कृतिक समिति लखनऊ एवं राजकीय संग्रहालय झांसी के संयुक्त तत्वाधान में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का। अभिलाषा वर्मा ने अगला लोक गीत 'सपने गांधी के सैतुक बनाने है हमें धरती पे स्वर्ग ले आने हैंÓ सुनाया। इसके पश्चात बारी आई महोबा उप्र की ख्यात लोक गाायिका अर्चना कोटार्य की। उन्होंने राष्ट्रवंदना को लोक गीत के माध्यम से बखूबी प्रस्तुत किया। जिसके बोल थे 'भारत की धरती के वीर दो महान, एक हैं जवान और दूसरों किसान,Ó यह लोक गीत देशभर में धूम मचा रहा है। इसके पश्चात अन्य लोक कलाकारों ने भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। गुरुवार 28 जुलाई 2022 को चौरी चौरा एवं आजादी के अमृत महोत्सव की श्रंखला में यहां पर गौरव गान का आयोजन राजकीय संग्रहालय प्रेक्षागृह में किया गया। जिसमें स्थानीय कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां हुईं। जो कलाकार शामिल हुए उनमें अर्चना कोटार्य, राधा प्रजापति, वंदना कुशवाहा, निशा, अभिलाषा, बेबी इमरान के दलों द्वारा बुंदेलखंड से संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रम यथा- बुंदेली लोक नृत्य, गायन, भजन, बुंदेली लोकगीत, राई नृत्य एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए गए। 


कलाकारों को दिए पुरस्कार 

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के पश्चात उपस्थित जनसमुदाय द्वारा कराए गए कार्यक्रमों की भूरी भूरी प्रशंसा की गई तथा विशिष्ट अतिथियों द्वारा कलाकारों को प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार का वितरण किया गया। मुख्य अतिथि डॉ एस के दुबे उपनिदेशक राजकीय संग्रहालय, विशिष्ट अतिथि डॉ धन्नु लाल गौतम उपाध्यक्ष संगीत नाटक अकादमी, श्रीमती मधु श्रीवास्तव, किरण गुप्ता, सुदर्शन शिवहरे, निर्मल सांस्कृतिक समिति की श्रीमती निर्मला शर्मा अध्यक्ष, राजेश शर्मा एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि भारी संख्या में उपस्थित रहे। संचालन डॉ मनमोहन मनु ने किया।

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मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

शिलालेख व जेल रिकार्ड में नाम दर्ज, सरकार नहीं मान रही सेनानी

 शिलालेख व जेल रिकार्ड में नाम दर्ज, सरकार नहीं मान रही सेनानी

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को आजतक नहीं मिली सरकारी इमदाद, आश्रितों पर रोजी-रोटी का संकट

भोपाल। मप्र के मुखिया शिवराज सिंह चौहान लाख दावे कर लें, लेकिन उनकी सरकार को चलाने वाले अधिकारी अपने अडिय़ल रबैये के चलते किसी की न सुनते हैं न योजनाओं को अंजाम तक पहुंचने देते हैं। यही वजह है कि राज्य सरकार व केन्द्र सरकार द्वारा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों के लिए पेंशन योजना के साथ ही अन्य सुविधाएं भी दी जा रही है लेकिन वास्तविक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को सरकार सेनानी मानने को ही तैयार नहीं है। मामला हरदा के ग्राम नांदुआ का है। यहां पर स्व. रामकिशन आत्मज रोडमल सोनी जो कि 1942 में जेल जाकर स्वंत्रता संग्राम सेनानी घोषित हुए थे। हर साल सरकार की और से प्रशस्तीपत्र दिया जाता रहा है, जो कि आज भी हर साल पंद्रह अगस्त को देते हैं। लेकिन सुविधाओं के नाम पर सरकार ने हाथ खड़े कर रखे हैं। कलेक्टर हरदा का कहना है कि जिस दिन से जेल में बंद हुए, उस दिन का रिकार्ड लाएं। जीएडी सामान्य प्रशासन विभाग ने निर्देशित किए तब जिला जेल नर्मदापुरम (होशंगाबाद) में रिकार्ड खंगाला। इसके बाद जेल अधीक्षक टिप्पणी आई की रिकार्ड काफी पुराना है, जीर्ण-शीर्ण होने के कारण पढऩे में नहीं आ रहा कि किस दिनांक को जेल में बंद हुए और कब छूटे। जबकि जेल रजिस्टर में तथा जिलावार शासन की सूची में 74 नंबर पर नाम दर्ज है। 


पत्नी स्वर्गवासी हो गई, बेटा बेरोजगार

स्वतंत्रता सेनानी स्व. रामकिशन के बाद उनकी पत्नी ने भी ऐड़ी-चोंटी का जोर लगाया लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। अब उनके पुत्र दीपक सोनी कोशिश कर रहे हैं, कई बार कलेक्टर कार्यालय पहुंचे, लेकिन कहीं कोई आशा की किरण नहीं दिखाई दे रही। अब दीपक के पास न तो कोई रोजगार है न ही कमाई का कोई जरिया कि वह अपना परिवार का भरण पोषण कर सके। ऐसे में राज्य सरकार व केन्द्र सरकार की जवाबदेही बनती है कि एक स्वतंत्रतासंग्राम सेनानी को उनका हम, उनका मान-सम्मान मिलना चाहिए। जानकार बताते हैं कि जेल की गलती के कारण किसी के मान-सम्मान और अधिकार के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है। 

कलेक्टर ने मांगा रिकार्ड

जिला कलेक्टर ने जो किरार्ड मांगा वह उपलब्ध नहीं है, जेल अधीक्षक के अनुसार जेल में लगे शिलालेख और जेल के में स्वतंत्राता सेनानियों की सूची में रामकिशन सोनी आत्मज रोडमल सोनी अंकित है, लेकिल जिसमें जेल में आने तथा रिहा होने की तिथि अंकित है वह रजिस्टर अपठनीय हो गया है। इधर जेएडी का कहना है कि कलेक्टर इनके पविार को पेंशन और राज्य शासन की और से स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को दी जाने वाली सुविधाएं शुरू करें, बशर्ते कि जरूरी साक्ष्य उपलब्ध कराये जायें। 

मुख्यमंंत्री करें मामले में हस्तक्षेप

इस मामले में मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने की अपील की जा रही है ताकि स्वंतत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित पुत्र दीपक तथा उसके परिवार को भरण पोषण के लिए पेंशन व अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें। इस संबंध में मुख्यमंत्री तथा गृह मंत्री को भी ज्ञापनी सौंपा जा रहा है ताकि सरकार के संज्ञान में लाया जा सके। यहां यह बात गौरतलब है कि हाल ही में केन्द्र सरकार ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों के लिए करोड़ों रुपयों का प्रावधान किया है लेकिन जो वास्तविक सेनानी हैं उसे उसके मान-सम्मान तथा लाभ से वंचित रखा जा रहा है। सरकार को चाहिए कि वह मामले में त्वरित कार्रवाई करे। 

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मंगलवार, 15 मार्च 2022

बुधवार, 12 जनवरी 2022

75 युवाओं को पुस्तक लेखन के लिए मिलेंगे पचास हजार रुपये

 साहित्य अकादमी का युवा दिवस पर तोहफा 

योजना को मूर्त रूप देने सीएम व संस्कृति मंत्री ने दी स्वीकृति, युवा रचनाकारों के लिए अभिवन योजना

महेश सोनी

भोपाल। स्वामी विवेकानंद जयंती अर्थात अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस पर मप्र साहित्य अकादमी ने युवाओं को एक बड़ा तोहफा दिया है। मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे ने बताया कि एक लंबे समय से हमारी कोशिश थी कि युवाओं के लिए रचनात्मक अभिव्यक्ति को मुखरित करने के लिए कुछ ऐसा प्रयास किया जाये जिससे उन्हें रचनाकर्म के प्रति अनुराग उत्पन्न हों और वे अपने सृजन को पुस्तक के रूप में साकार कर सकें। डॉ. दवे ने बताया कि यह अपेक्षित शुभ समाचार आज आप सब तक पहुंचाते हुए मुुझे स्वयं भी आनंद की अनुभूति हो रही है। हम सब जानते हैं स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के संदर्भ में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश युवा रचनाकारों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना को मूर्त रूप देना चाहती थी। उस योजना को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर की स्वीकृति प्राप्त हो गई है। उन्होंने बताया कि आज युवा दिवस पर ही इस योजना की घोषणा करते हुए मैं अपने जीवन की धन्यता अनुभव कर रहा हूं। हम  75 युवा रचनाकारों को पुस्तक लेखन हेतु चयन करेंगे। जिसके लिए प्रत्येक को छात्रवृत्ति के रूप में 50 हजार रुपये की राशि देंगे, साथ ही पांडुलिपि का चयन करके अकादमी के माध्यम से प्रकाशित भी करेंगे।

30 वर्ष तक की आयु के युवा होंगे शामिल 

अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे ने राजनीतिक क्रांति को बताया कि संपूर्ण मध्यप्रदेश के युवाओं को इसमें शामिल किया जा रहा है जो कि 30 वर्ष की आयु निर्धारित है। इसके लिए प्रपत्र के नियमों को समझकर साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश के पते पर अपनी पुस्तक की पूर्व योजना (सिनॉप्सिस) 5000 शब्दों में बनाकर प्रस्तुत करनी होगी। इसके बाद यदि वे चयनित होते हैं तो प्रत्येक को 50,000 (पचास हजार रु) छात्रवृत्ति के रूप में प्रदान किए जायेंगे। साथ ही उनकी पुस्तक का प्रकाशन भी साहित्य अकादमी करेगी। इस अभिनव योजना को साकार रूप देने के लिए उन्होंने विशेष आभार शिवशेखर शुक्ला, प्रमुख सचिव संस्कृति एवं अदिति कुमार त्रिपाठी, संचालक संस्कृति संचालनालय के प्रति भी व्यक्त किया है। 

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