मंगलवार, 27 जुलाई 2021

मप्र साहित्य अकादमी तैयार कर रही साहित्यकार संदर्भ कोश

-प्रदेश के पच्चीस हजार से अधिक साहित्यकारों के जीवन वृत व उनका साहित्य रहेगा उपलब्ध

भोपाल। मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी का एक और नवाचार साहित्यकार संदर्भ कोष के रूप में सामने आ रहा है। इसे मप्र साहित्य अकादमी तैयार करने में जुटी है। मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास कुमार दवे ने बताया कि भोपाल ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के तमाम साहित्यकारों कलाकारों के लिए मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा संदर्भ कोष तैयार किया जा रहा है। साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश द्वारा एक महत्वकांक्षी परियोजना साहित्यकार संदर्भ कोष तैयार करने के लिए तकनीकी व्यवस्था की गई है। इसके माध्यम से प्रदेश के तमाम साहित्यकारों को एक लिंक पर खोजने के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि उन साहित्यकारों का समग्र साहित्य तथा जीवनवृत पाठकों के लिए नेट पर उपलब्ध हो सके। उन्होंने बताया कि साहित्यकारों का जीवन वृत्त तथा उनके क्रियाकलापों को एक फॉर्मेट में उपलब्ध कराया जाएगा। मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक डॉक्टर विकास दवे ने बताया कि इसके लिए महति परियोजना तैयार की जा रही है। साहित्यकारों को उपलब्ध लिंक के माध्यम से पंजीकरण करना होगा। साथ ही अपनी तमाम जानकारी उन्हें जो फॉर्मेट दिया गया है उसमें डालनी होगी। इसके बाद में उसे वेबसाइट पर प्रकाशित कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि आगामी 1 वर्ष में हम सब मिलकर मध्य प्रदेश के लगभग 25 हजार से अधिक साहित्यकारों का डेटाबेस परिचय साहित्य अकादमी की वेबसाइट पर सहज रूप से देख सकेंगे।

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स्वयं ही वेबसाइट पर अपलोड कर सकेंगे

निदेशक डॉ. दवे ने बताया कि इसके लिए https://mpsahityaacademy.com/ पर साहित्यकार संदर्भ कोष पंजीयन का आकार भी निर्धारित किया गया है ताकि साहित्यकार अपना परिचय स्वयं अपलोड कर सकेंगे और कॉलम में पूर्ति करके अपना परिचय जोड़ सकेंगे। इसके लिए पांच पेज जेपीजी फॉर्मेट में अलग से अटैच कर सकेंगे। इस योजना का उद्देश्य बताते हुए कहा कि अभी तक हमारे देश में जिनको लोग नहीं जानते हैं कई साहित्यकार ऐसे उनका अच्छा साहित्य लोगों तक नहीं पहुंच पाया है तो इस महती योजना के माध्यम से कम से कम हम अपने प्रदेश के साहित्यकारों को इंटरनेट पर और साहित्य अकादमी के पेज पर उपलब्ध करवा दें ताकि यदि किसी को पढऩा है ढूंढना है तो वह एक ही प्लेटफार्म को ढूंढ सकते हैं। उन्होंने बताया कि यह योजना तमाम साहित्यकारों के लिए जो दूर ग्रामीणों में निवास कर रहे हैं इसके साथ ही साथ महानगरों में भी हैं उनके लिए योजना बहुत ही कारगर सिद्ध होगी।

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