शुक्रवार, 26 जून 2009

ज़िन्दगी

बाद मुद्दत के मेरे दर पे नामबरआया।
आज फिर किसका ये पैगाम मेरे घर आया।
हादसे यूँ भी कई बार मेरे साथ हुए।
खून उसने किया, इल्जाम मेरे सर आया.
-महेश सोनी

शनिवार, 16 मई 2009

गाँव मेरा सो जाता है

हर पल, हर दिन अमन चैन का पाठ पढ़ा तो जाता है।
खामोशी के शर में फिऱ भी हो हल्ला हो जाता है॥
क्या मज़हब, क्या मन्दिर-मस्जिद अनपढ़ भोले भालों के,
शहर में जब ये बातें चलती, गाँव मेरा सो जाता है॥
-महेश सोनी

गुरुवार, 15 जनवरी 2009

चुप रहें भी तो क्यों

झूठ की भीड़ में चुप रहें भी तो क्यों।
तंज़ दुनिया के आखऱि सहें भी तो क्यों।
मिल रही है, मुरव्वत अगर गाँव में,
कातिलों के शहर में रहें भी तो क्यों।
दर्द के पल गुजऱ जायें हंस के अगर,
आंसुओं के समंदर बहें भी तो क्यों।
जिस को सुनना हमारे लिए है बुरा,
बात इसी किसी से कहें भी तो क्यों।
वक्त के साथ चलाना बहुत लाजिमी,
उंगलियाँ थाम पीछे रहें भी तो क्यों।
-महेश सोनी

बुधवार, 7 जनवरी 2009

सुख-दुःख

सुख-दुःख इंसान के जीवन में उसी तरह आते हैं, जिस तरह से धुप और छाँव इसलिए व्याकुल होने की जगह मुकाबला करें। एक हकीकत यह भी है की आदमी अपने दुःख से उतना दुखी नहीं होता जितना वह दुसरे के सुख से दुखी होता है।

गुरुवार, 1 जनवरी 2009

नव वर्ष २००९ मंगलमय

मंगलमय नववर्ष 
मन में नई उमंग हों, हों जीवन में हर्ष। 
नव प्रगति सौपान पर, मंगलमय नववर्ष॥ 
प्रेम-प्यार,सौहार्द का, सुखमय हो संचार। 
अलगावों में हो कमी, बढे प्रेम-व्यापार॥ 
संबंधों की भीत पर, करें न भीतरघात। 
अरमानों की नींव पर, कभी न हो आघात॥ 
सत्य-कर्म की साख से, रखें सदा अनुबंध। 
झूठ-बुराई से परे, करें सभी अनुबंध॥ 
अवसादों की आंच से, जल न सके विचार। 
मन के नव आलोक से, सुखमय हो संसार॥ 
-महेश सोनी