शनिवार, 16 मई 2009

गाँव मेरा सो जाता है

हर पल, हर दिन अमन चैन का पाठ पढ़ा तो जाता है।
खामोशी के शर में फिऱ भी हो हल्ला हो जाता है॥
क्या मज़हब, क्या मन्दिर-मस्जिद अनपढ़ भोले भालों के,
शहर में जब ये बातें चलती, गाँव मेरा सो जाता है॥
-महेश सोनी

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