मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक डाॅ. विकास दवे ने पहली बार किसी ऐसे विषय पर बात की है जिसपर लोग बात करना तो दूर उसका नाम लेने में भी संकोच करते रहे। यह डाॅ. विकास दवे की वाक-सामर्थ्य ही है कि भरे पूरे सभागार में लोगों ने बहुत ही चाव से सुना। उनकी यह बेवाक टिप्पणी विगत दिनों लेखक सुरेश पटवा की दो किताबों के विमोचन अवसर पर सामने आई। उन्होंने वात्स्यायन रचित ‘कामसूत्र‘ में निहित जीवन पद्धति के रहस्यों का उद्घाटन ही नहीं किया बल्कि उन्होंने तो ‘मनु स्मृति‘ को जलाने वालों को भी हासिये पर ला खडा किया। यह वीडियो जब आप भी शीर्षक देखकर स्किप कर देंगे तो उन्होंने जो बातें कही वह सत्य भी हो जायेंगी। उनके ही कथन को मैं यहां पर लिख रहा हूं।