बुधवार, 7 जनवरी 2009

सुख-दुःख

सुख-दुःख इंसान के जीवन में उसी तरह आते हैं, जिस तरह से धुप और छाँव इसलिए व्याकुल होने की जगह मुकाबला करें। एक हकीकत यह भी है की आदमी अपने दुःख से उतना दुखी नहीं होता जितना वह दुसरे के सुख से दुखी होता है।

कोई टिप्पणी नहीं: