सोमवार, 11 दिसंबर 2017

खबरों से समझौता नहीं करने वाले आज भी मौजूद

जश्ने उर्दू के तीसरे दिवस उर्दू सहाफत पर हुई संगोष्ठी, सहाफियों का हुआ इस्तकबाल

महेश सोनी

दूरदर्शन मप्र की प्रोग्राम आफिसर मोहतरमा हुस्ना कुरैशीजी के साथ वरिष्ठ पत्रकार व एंकर महेश सोनी

भोपाल। रविन्द्र भवन में तीन दिवसीय जश्ने उर्दू में आज अंतिम दिन उर्दू सहाफत पर संगोष्ठी हुई जिसमें शहर के जानेमाने पत्रकारों ने अपने विचार रखे। मुख्य वक्ताओं में महताब आलम, पंकज शुक्ला, अलीम बज्मी व शाहिद कामिल मौजूद थे। वरिष्ठ पत्रकार महताब आलम ने कहा कि यह आयोजन जबान का जश्र नहीं बल्कि तहजीब का जशन है। उर्दू केवल मुसलामानों की भाषा है यह कहना गलतफहमी है। उन्होंने बताया कि राजा राममोहन राया हिन्दुस्तानी सहाफत के बाबा आदम हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि आज पत्रकारिता के कल्चर पर उद्योगपतियों ने कब्जा कर लिया है, जिसके कारण आज स्तर में गिरावट आई है। इसके बाद वरिष्ठ पत्रकार पंकज शुक्ला ने संगोष्ठी में अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि पहले अखबार निकालने के लिए मिशन की तैयारी होती थी, क्योंकि पहले संस्थान व्यक्ति बनाते थे, लेकिन अब व्यक्ति संस्थान बनाने लगा है। पत्रकारिता के संस्थान यह पढ़ा रहे हैं कि अखबार मे वह सब हों जो पाठकों को की रूचि का हो। जबकि वो सब होना चाहिए जो सच हो, इस ओर कोई ध्यान नहीं देता है। उन्होने कहा कि ऐसे लोगों को हमें खारिज करना चाहिए ताकि हम वास्तविक प्रत्रकारिता के समीप आ जाएं। वरिष्ठ पत्रकार आरिफ मिर्जा ने कहा कि भोपाल उर्दू सहाफत का मरकज रहा है और उर्दू सभी की जुबान रही है। लेकिन सरकार द्वारा इसके लिए भी कुछ करना चाहिए। उन्होंने विद्यालयों में उर्दू विषय को भले ही एैच्छिक हो लागू करने की बात पर जोर दिया। इसी तरह वरिष्ठ पत्रकार अलीम बज्मी ने भी खबरों की विश्वसनीयता के लिए पाठक नियामक आयोग तथा दर्शक नियामक आयोग बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि आज खबर पालिका पर लोगों का भरोसा कम हो गया है और इसके लिए कोई आवाज भी नहीं उठाता, जबकि पहले कोई खबर गलत छप जाती थी तो पाठकों की चिट्ठी पहुंच जाती थी, जिसपर मीटिंग हुआ करती थी।

मुशायरे के साथ पत्रकारों का हुआ सम्मान

जश्रे उर्दू के दूसरे सत्र में मुशायरे का अयोजन किया जिसमें पत्रकारों शायरों ने अपने कलाम पेश किये, सबसे पहले सुधीर शर्मा ने अपनी गजल सुनाई इसके बाद सलीम तन्हा, महताब आलम ने आपनी गजलों से समा बांध दिया। इसी दौरान हिन्दुस्तान के सहैल बुखारी जो कि इन दिनों कतर में हैं उनका सम्मान किया गया। इसके बाद शहर के प्रमुख्य पत्रकारों का सम्मान किया गया। इस दौरान कौसर सिद्दीक़ी की पुस्तक मध्यप्रदेश में उर्दू शायरी की क़दामत (13वीं सदी से 18वीं सदी तक) का विमोचन हुआ। इधर मंच क्रमांक-2 से नई नस्ल में उर्दू विषय पर अंश हेप्पीनेस सोसायटी द्वारा महफिल लिट्रेरी ओपन माईक पर गज़़लों, गीतों पर आधारित सांगीतिक एकल-सामूहिक व बैण्ड प्रस्तुतियाँ हुईं जबकि मुख्य मंच से सांय 6:30 बजे विश्व विख्यात फिल्म डायरेक्टर व लेखक मुजफ़्फ़ऱ अली द्वारा जहान-ए-ख़ुसरो-सूफिय़ाना की प्रस्तुति, सूफिय़ाना कथक-आस्था दीक्षित, काव्यात्मक प्रस्तुति-मुराद अली द्वारा एवं रूबरू के अन्तर्गत मुजफ़्फ़ऱ अली से चर्चा व विश्वख्यिात शायर असलम साबरी और साथी, जयपुर द्वारा सूफिय़ाना क़व्वालियों की प्रस्तुति हुईं। 

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